जौनपुर: पुलिस की बर्बरता का अमानवीय चेहरा, महिला को घसीटते जवानों का वीडियो वायरल

जौनपुर: पुलिस की बर्बरता का अमानवीय चेहरा, महिला को घसीटते जवानों का वीडियो वायरल

जौनपुर, उत्तर प्रदेश: पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, लेकिन जब वही पुलिस बर्बरता पर उतर आए, तो समाज में सुरक्षा का एहसास कमजोर पड़ जाता है। जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली क्षेत्र के औरी गांव में पुलिस का एक अमानवीय चेहरा सामने आया है, जिसने पूरे जिले ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पुलिसकर्मी एक महिला को निर्दयता से घसीटते दिख रहे हैं।

यह वीडियो सामने आने के बाद जौनपुर पुलिस की जमकर आलोचना हो रही है। खासकर, महिला सुरक्षा और सम्मान की बात करने वाली प्रदेश सरकार के लिए यह घटना शर्मनाक साबित हो रही है।

क्या है पूरा मामला?

मामला जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली क्षेत्र के औरी गांव का है। वायरल वीडियो में दिख रही महिला का नाम मीना देवी है, जिनका पड़ोसी के साथ जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद को हल करने के लिए राजस्व विभाग और पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची थी।

पीड़िता मीना देवी का आरोप है कि प्रशासनिक टीम बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक विवादित जमीन की नाप-जोख करने लगी। उस समय उनके घर पर कोई पुरुष सदस्य मौजूद नहीं था। ऐसे में मीना देवी ने टीम से अनुरोध किया कि जमीन की नाप-जोख किसी अन्य दिन की जाए, जब उनके परिवार के पुरुष सदस्य उपस्थित हों। लेकिन अधिकारियों ने इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें वहां से चले जाने को कहा।

मीना देवी ने जब इसका विरोध किया और घर के अंदर चली गईं, तो पुलिसकर्मी उनकी इस हरकत को बर्दाश्त नहीं कर सके। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने जबरन घर में घुसकर महिला को घसीटते हुए बाहर निकाला। इस दौरान उनकी साड़ी खिसक गई, लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें बेरहमी से घसीटते रहे।

कैसे हुआ पुलिस का अमानवीय चेहरा उजागर?

इस पूरी घटना का वीडियो वहां मौजूद किसी शख्स ने अपने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड कर लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। वीडियो सामने आते ही लोगों में गुस्से की लहर दौड़ पड़ी। पुलिस की इस अमानवीय हरकत ने कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला पुलिसकर्मियों के साथ-साथ पुरुष पुलिसकर्मी भी पीड़िता को घसीटने में शामिल थे। महिला की चीख-पुकार के बावजूद पुलिस ने कोई दया नहीं दिखाई।

पुलिस ने पीड़िता को हिरासत में लिया

वीडियो वायरल होने के बाद जब पुलिस की इस हरकत की आलोचना शुरू हुई, तो प्रशासन की ओर से कोई संतोषजनक सफाई नहीं दी गई। उल्टा, पुलिस ने पीड़िता को ही हिरासत में लेकर न्यायालय में चालान कर दिया।

यह घटना प्रशासन की क्रूरता और संवेदनहीनता का स्पष्ट प्रमाण है। सवाल उठता है कि अगर पुलिस को किसी महिला पर कोई संदेह था या उसे पूछताछ के लिए ले जाना था, तो क्या ऐसा करने का यही तरीका होना चाहिए था? क्या महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में उसे इस तरह घसीटना उचित था?

दिव्यांग बेटे ने जिलाधिकारी से की न्याय की गुहार

इस पूरी घटना के बाद पीड़िता के बेटे हरिश्चंद्र यादव, जो स्वयं दिव्यांग हैं, ने अपनी मां के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार की शिकायत जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र सिंह से की। हरिश्चंद्र ने वायरल वीडियो के साथ अपनी शिकायत दी और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

हरिश्चंद्र का कहना है कि उनकी मां के साथ जो कुछ भी हुआ, वह बेहद शर्मनाक और अमानवीय था। उन्होंने कहा, “मेरी मां को इस तरह घसीटना, अपमानित करना और उनके सम्मान को ठेस पहुंचाना पुलिस की क्रूरता को दर्शाता है। मैं प्रशासन से न्याय की मांग करता हूं।”

सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ गुस्सा

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ भारी आक्रोश देखने को मिला। लोग प्रदेश सरकार से इस घटना पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग यूपी पुलिस की निंदा कर रहे हैं और इस घटना को महिलाओं के खिलाफ पुलिस की बर्बरता करार दे रहे हैं।

एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “यूपी पुलिस के इस क्रूर व्यवहार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को संज्ञान लेना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बात करने वाली सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।”

वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “अगर एक आम नागरिक पुलिस के खिलाफ आवाज उठाएगा तो क्या उसे इसी तरह घसीटकर अपमानित किया जाएगा? यह कानून का शासन नहीं, बल्कि जंगलराज है!”

महिला सुरक्षा और प्रशासन पर सवाल

उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई योजनाएं चलाती है और पुलिस सुधार की बात भी करती है। लेकिन इस घटना ने प्रदेश सरकार के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

क्या महिला सुरक्षा सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह गई है? अगर पुलिस ही महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करेगी, तो फिर आम जनता न्याय की उम्मीद किससे करेगी?

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पुलिस सुधार की सख्त जरूरत है। महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, यह सिखाने के लिए पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए।

क्या होगी कार्रवाई?

जौनपुर पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा, यह देखना बाकी है। जिलाधिकारी से शिकायत के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी।

प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में कड़ी कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। साथ ही, पुलिसकर्मियों के व्यवहार को सुधारने के लिए उन्हें संवेदनशीलता का प्रशिक्षण दिया जाए।

निष्कर्ष

जौनपुर की यह घटना पुलिस की क्रूरता और प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है। एक महिला को सरेआम घसीटना, अपमानित करना और उसके सम्मान को ठेस पहुंचाना कानून व्यवस्था की नाकामी को उजागर करता है।

दिव्यांग बेटे की गुहार, वायरल वीडियो और जनता के आक्रोश के बाद अब प्रशासन के लिए इस मामले को दबाना संभव नहीं है। देखना होगा कि क्या दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में न्याय सुनिश्चित करे ताकि भविष्य में कोई भी पुलिसकर्मी कानून के दायरे से बाहर जाकर इस तरह की अमानवीय हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।

LOKWANI TIMES TEAM

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